दिल्ली में कांग्रेस-AAP के संग आने की सुगबुगाहट, जानिये- कहां पर अटक गई बात
2019 के लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय रह गया है। ऐसे में सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष भी मोर्चा-गठबंधन की कवायद में जुट गया है।
नई दिल्ली। दिल्ली में कांग्रेस-AAP के संग आने की सुगबुगाहट, 2019 के लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय रह गया है। ऐसे में सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष भी मोर्चा-गठबंधन की कवायद में जुट गया है। विपक्षी एकता के चलते 28 मई को हुए उपचुनाव में भाजपा को 4 लोकसभा में से सिर्फ 1 सीट मिली है। हालांकि, अब तक हुए तमाम सर्वे में मोदी सरकार की वापसी के पूरे आसार हैं, लेकिन भाजपा के खिलाफ 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष इसी फॉर्मूले पर ‘महागठबंधन’ के जरिये चुनावी मैदान में उतरता है, तो सत्ताधारी दल को मुश्किलें पेश आ सकती हैं।
AAP-कांग्रेस गठबंधन के कयास, राहुल गांधी की नहीं मिली हरी झंडी
इस बीच भाजपा के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के भी करीब आने की खबरें मीडिया में तैरने लगी हैं। कहा जा रहा है कि जिस तरह से कर्नाटक में विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद विपक्ष एकजुट हुआ और कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) ने सरकार बनाई, इससे दिल्ली में भी कांग्रेस-AAP में समझौते की गुंजाइश बनने लगी है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से अभी कांग्रेस-AAP गठबंधन को हरी झंडी नहीं मिली है।
AAP के साथ गठबंधन को लेकर दो वरिष्ठ कांग्रेस नेता पिछले दिनों थे सक्रिय
सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिनों 24 मई को कांग्रेस और AAP में इस विषय को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष में अनौपचारिक बातचीत भी हुई है। बताया जा रहा है कि इस दौरान कांग्रेस और AAP में गठबंधन को लेकर बातचीत हुई। इसके बाद AAP की ओर से भी गठबंधन की संभावनाओं को लेकर कांग्रेस के साथ कोशिश हुई है।
कांग्रेस दिल्ली में चाहती है तीन लोस सीट, AAP सिर्फ दो देने को तैयार
बताया जा रहा है कि 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली में सीटों के बंटवारे पर भी बात हुई, जिसमें AAP ने 5 सीट खुद रखने और 2 सीट कांग्रेस को देने का प्रस्ताव दिया है। इसके पीछे बताया जा रहा है कि कांग्रेस के मुकाबले दिल्ली में AAP का वोट फीसद बहुत ज्यादा है।
नई दिल्ली सीट से लड़ सकती हैं पूर्व राष्ट्रपति की बेटी
वहीं, कांग्रेस ने अपनी ओर से दिल्ली की सात में से तीन सीटों की मांग रखी है। इसमें नई दिल्ली सीट से शर्मिष्ठा मुखर्जी, चांदनी चौक से अजय माकन और नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से राजकुमार चौहान के नाम के कयास लगाए जा रहे हैं। यहां पर बता दें कि शर्मिष्ठा मुखर्जी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी हैं और वह पिछला विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। वहीं, दूसरी ओर AAP सहयोगी के रूप में कांग्रेस को सिर्फ दो ही सीट देने की इच्छुक है।
सिर्फ 5 लोकसभा सीट पर प्रभारी नियुक्त, बाकी पर क्यों नहीं
यह भी जानकारी सामने आ रही है कि शुक्रवार को ही अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सात में से पांंच लोकसभा सीटों पर प्रभारी नियुक्त किए हैं। इन प्रभारियों में अतिशी मार्लेना और राघव चड्ढा का नाम शामिल है, ये दोनों ही कुछ महीने पहले सलाहकार के पद से हटाए गए थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कहीं न कहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर आम आदमी पार्टी में भी खिचड़ी पक रही है।
23 और 31 मई ने विपक्ष को किया मजबूत
इस पर यकीन करना होगा कि पिछले एक सप्ताह के दौरान विपक्ष की राजनीति में तेजी से बदलाव हुआ है। 23 मई को कर्नाटक में एसडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में समूचा विपक्ष इकट्ठा हुआ, जिसमें अरविंद केजरीवाल ने भी शिरकत की थी। वहीं, 31 मई को आए उपचुनाव के नतीजों ने भी विपक्ष को एक नई ऊर्जा दी है। दरअसल, कैराना लोकसभा उपचुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी तबस्सुम हसन को आम आदमी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया था। यही वजह है कि उपचुनाव परिणाम आते ही केजरीवाल ने तत्काल अपनी प्रतिक्रिया भी दी थी।
एक ट्वीट से कांग्रेस-AAP गठबंधन को मिल रहा बल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कांग्रेस के प्रति नरमी 31 मई को दिख गई थी, जब वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर अपने पूर्व के बयानों से पलट गए थे। 2014 में लोकसभा और दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) संयोजक केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के विरोध में जो अभियान चलाया था, उसमें उनके निशाने पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी थे। उन्होंने 100 भ्रष्ट नेताओं की जो सूची जारी की थी, उसमें मनमोहन सिंह का नाम शामिल था। अब वॉल स्ट्रीट जर्नल में रुपये की गिरावट और भारत में निवेश के मद्देनजर अनिश्चित भविष्य पर प्रकाशित एक लेख पर किए गए एक ट्वीट में अरविंद केजरीवाल अपने पूर्व बयान से फिर पलट गए हैं। अब उनका कहना है कि जनता डॉ. मनमोहन सिंह जैसे शिक्षित प्रधानमंत्री को याद कर रही है। पीएम तो पढ़ा-लिखा ही होना चाहिए। यह ट्वीट बहुत इशारे भी कर रहा है।
केजरीवाल ने न किया इनकार और इकरार
राजनीति में इनकार और इकरार के बहुत मायने होते हैं और नहीं भी, क्योंकि राजनीति भी क्रिकेट की ही तरह अनिश्चितताओं का खेल है। हैरानी की बात यह है कि जिस कांग्रेस का विरोध करके जिस केजरीवाल ने अपनी पूरी राजनीति की और दिल्ली की सत्ता पर एतिहासिक जीत के साथ कब्जा किया। उसी पार्टी के साथ AAP के गठबंधन की हवा राजनीत में तैर रही है और केजरीवाल ने चुप्पी साध ली है। वहीं, पार्टी के बड़े नेता भी इस मुद्दे पर चुप हैं।
अजय माकन कर चुके हैं साफ इन्कार
AAP-कांग्रेस में गठबंधन की खबरें आने के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने ट्वीट कर इस पर विराम लगा दिया था। ट्वीट में उन्होंने दिल्ली में AAP-कांग्रेस गठबंधन को पूरी तरह खारिज कर दिया था।
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