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अभी जमीन पर नजर नहीं आ रहा कांग्रेस-सपा गठबंधन

मतदान के कुछ दिन शेष होने के कारण एक तरफ अन्य पार्टियों के प्रत्याशी जीत-हार का आंकलन कर क्षेत्र में पकड़ मजबूत बना रहे हैं तो दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी जिले में अपनों को ही मनाने में लगे हैं। पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं की आपसी गुटबाजी का खामियाजा प्रत्याशियों को भुगतना पड़ सकता है। दोनों दलों की कोई संयुक्त रणनीति अभी नहीं बनी है।

नहीं दिखाई दे रहा गठबंधन का प्रभाव : प्रदेश में जहां वर्तमान सरकार गठबंधन से आश्वस्त दिखाई दे रही है, वहीं दूसरी तरफ गाजियाबाद में यह गठबंधन कोई खास प्रभाव बनाता नहीं दिखाई दे रहा है। कांग्रेस ने युवा चेहरों को दरकिनार करते हुए पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है। साहिबाबाद में विधायक अमर पाल शर्मा को टिकट दिया गया है जो बसपा से टिकट कटने के बाद कांग्रेस में आए हैं। कांग्रेस का कोई पुराना नेता अभी उनके साथ नजर नहीं आ रहा। सपा के नेता भी फिलहाल दूर ही दिखाई दे रहे हैं। लोनी से गठबंधन के प्रत्याशी राशिद मलिक का पहला चुनाव होने के कारण कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ रही है। सपा का भी एक खेमा उनसे नाराज चल रहा है तो कांग्रेसी भी कोई विशेष रूचि नहीं दिखा रहे हैं।

Source : Dainik Jagran






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