नेताजी अखिलेश के लिए अब भी मुलायम, पर साइकिल नहीं छोड़ेंगे
इंडिया वोट कर टीम के अनुसार
मुलायम सिंह यादव ने पहलवानी ऐसे अखाड़े में सीखी है, जहां बिना दो- दो हाथ किये जीत-हार स्वीकार नहीं की जाती, मुकाबला चाहे जितना मुशिकल हो। सबको प्रत्यक्ष दिख रहा है कि पार्टी कार्यकर्ताओं का मूड उगते सूरज को सलाम करने का है फिर अखिलेश को सत्तारूढ़ होने का भी लाभ है। यह सब जानते हुए भी मुलायम हार मानने को तैयार नहीं दिखते। लखनऊ से दिल्ली के लिए रवाना होते मुलायम सिंह के चेहरे पर बुढापा, थकान और तनाव साफ झलक रहा था, फिर भी उन्होंने कहा “साइकिल पर हमारा हक है, बड़ी मेहनत से समाजवादी पार्टी बनायी है।” याद दिलाया साइकिल पर हमारा दस्तखत है।
इस तरह जहां अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के डिफैक्टो पार्टी अध्यक्ष हैं, वहीं मुलायम सिंह यादव चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में डिज्यूरे यानि कानूनी रूप से अध्यक्ष बने हुए हैं। अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष चुनने के लिए जनेश्वर मिश्र पार्क में जो सम्मेलन हुआ, उसकी सारी कार्यवाही हड़बड़ी में निबटायी गयी। संभवत: यह डर था कि मुलायम और शिवपाल वहाँ पहुँच कर भड़भंड न कर दें। दूसरी गौरतलब बात यह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद रिक्त हुए बिना ही दूसरा अध्यक्ष चुन लिया गया।
राम गोपाल यादव को यह भी साबित करना पड़ेगा कि विशेष आपात अधिवेशन विधिसम्मत था, जबकि मुलायम उसे गैर कानूनी घोषित कर चुके थे। पार्टी संविधान के अनुसार चालीस फीसदी प्रतिनिधि लिखित रूप से विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग पार्टी अध्यक्ष से कर सकते हैं और उनके मना करने पर ही असंतुष्ट गुट ऐसा कर सकता है।
Still Mulayam singh have sympathy for Son Akhilesh but not ready to quit Party symbol
Source : Jansatta
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